Sesame Cultivation: ऐसी जमीन पर बिहार के किसान करें तिल की खेती, होगी बंपर पैदावार
तिल की फसल को नीलगाय खाना पसंद नहीं करती हैं. ऐसे में फसलों की बर्बादी भी नहीं होती है. वहीं, तिल की खेती में पानी की बहुत की कम जरूरत पड़ती है.
बिहार के बेगूसराय के किसानों ने अपनी मेहनत से लोगों के सामने मिसाल पेश की है. जिले में कई किसान धान- गेहूं के साथ- साथ बड़े स्तर पर तिल की भी खेती करते हैं. तिल की खेती करने से किसानों की कमाई बढ़ गई है. साथ ही उनकी फसलों को मवेशी भी बर्बाद नहीं कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि रबी और खरीब फसल के सीजन के दौरान वे लोग तिल की बुवाई कते हैं. 85 से 90 दिन में फसल तैयार हो जाती है. ऐसे में तिल बेचकर वे लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं. यही वजह है कि कृषि वैज्ञानिक भी तिल की फसल को दोहरी फसल प्रणाली मान रहे हैं.
न्यूज18 हिन्दी की रिपोर्ट के मुताबिक, तिल की फसल को नीलगाय खाना पसंद नहीं करती हैं. ऐसे में फसलों की बर्बादी भी नहीं होती है. वैज्ञानिकों की माने तो तिल की खेती में पानी की बहुत की कम जरूरत पड़ती है. ऐसे में अगर किसान भाई तील की खेती करते हैं, तो पानी की भी बचत होगी. हालांकि, किसान भाई अगर चाहें, तो उपजाऊ जमीन पर भी तिल की खेती कर सकते हैं. ऐसे में जिले में कावर झील के आसपास सबसे ज्यादा परती जमीन है. अगर किसान भाई उसके ऊपर खेती करते हैं तो और अच्छी उपज मिलेगी.
अधिक तापमान में भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है
खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपाल का कहना है कि अगर जहां पर सिंचाई की समस्या हो, या जंगली घास अधिक उगते हों, तो उस खेत में किसान तिल की खेती कर सकते हैं. जुलाई महीने में किसानों के लिए तिल की खेती करना ज्यादा बेहतर रहेगा. ऐसे इसकी खेती के लिए बलुई मोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त मानी गई है. खास बात यह है कि बेगूसराय जिले का टेंपरेचर इसकी खेती के लिए भी ज्यादा बेहतर है. अधिक तापमान में भी इसकी फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है.
बुवाई करने के 80 से 95 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है
वहीं, तिल की बुवाई करने के 80 से 95 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है. इसके 75 प्रतिशत पत्तियां और तने पीले हो जाती है तो इसकी कटाई की जाती है. आप एक हेक्टेयर में तिल की खेती करते हैं, तो 6 से 7 क्विंटल उपज मिलेगी. बेगूसराय जिले के कावर झील और दियारा इलाके में करीब 50 एकड़ से ज्यादा जमीन पर पानी अधिक होने के चलते किसान किसी भी फसल की खेती नहीं कर पा रहे हैं. अगर किसान भाई चाहें तो इन परती खेतों में तिल की खेती कर सकते हैं.